अनुच्छेद 182 के अनुसार, विधान परिषद के दो प्रमुख पदाधिकारी होते हैं सभापति और उपसभापति।
इन दोनों का चुनाव विधान परिषद अपने सदस्यों में से करती है। इनके अधिकार व कार्य वही हैं
जो विधान सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के हैं। ये पदाधिकारी तब तक अपने पद पर बने रहते हैं
जब तक वे विधान परिषद के सदस्य रहते हैं। वे एक-दूसरे को त्यागपत्र दे सकते हैं।
अतः सभापति अपना त्यागपत्र उपसभापति को तथा उपसभापति अपना त्याग पत्र सभापति को भेजता है।
विधान परिषद्
1 | विधान परिषद् राज्य विधान मंडल का उच्च सदन होता है। |
2 | यदि किसी राज्य की विधान सभा अपने कुल सदस्यों के पूर्ण बहुमत तथा उपस्थित मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करे तो संसद उस राज्य में विधान परिषद् स्थापित कर सकती है अथवा उसका लोक कर सकती है। |
3 | वर्तमान में केवल छः राज्यों ( उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू एवं कश्मीर, महाराष्ट्र, बिहार तथा आन्ध प्रदेश ) में विधान परिषदें विद्यमान है। |
4 | विधान परिषद् के कुल सदस्यों की संख्या, उस राज्य की विधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या की एक तिहाई से अधिक नहीं हो सकती है, किन्तु किसी भी अवस्था में विधान परिषद् के सदस्यों की कुल संख्या 40 से कम नहीं हो सकती है। अपवाद- जम्मू- कश्मीर (36) |
5 | विधान परिषद् का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु-सीमा 30 वर्ष है। |
7 | विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है, किन्तु प्रति दूसरे वर्ष एक तिहाइ्र सदस्य अवकाश ग्रहण करते है तथा उनके स्थान पर नवीन सदस्य निर्वाचित होते है। |
विधान परिषद चुनाव
8 | विधान परिषद् के सदस्यों का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा होता है। |
9 | विधान परिषद् के कुल सदस्यों के एक तिहाई सदस्य, राज्य की स्थानीय स्वशासी संस्थाओं के एक निर्वाचक मंडल द्वारा निर्वाचित होता है। एक तिहाई सदस्य राज्य की विधान सभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित होता है। |
10 | विधान परिषद की किसी भी बैठक के लिए कम से कम या विधान परिषद् के कुल सदस्यों का दसमांश, (1/10) इनमें जो भी अधिक हो, गणपूर्ति होगा। |
11 | सभापति एवं उपसभापति को विधान मंडल द्वारा निर्धारित वेतन एवं भत्ते प्राप्त होते है। |
12 | सभापति उपसभापति को संबोधित कर एवं उपसभापति सभापति को संबोधित कर त्यागपत्र दे सकता है, अथवा परिषद् के सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा उसे अपदस्थ भी किया जा सकता है। किन्तु ऐसे किसी प्रस्ताव को लेने के लिए 14 दिनों की पूर्व सूचना आवश्यक है। |
State Legislative Council
UP Vidhan Parishad
विधान सभा के अधिकार और कार्य:-
1 | विधि निर्माण | (क) – इसे राज्य सूची से संबंधित विषयों पर विधि निर्माण का अनन्य अधिकार प्राप्त है। |
(ख) | समवर्ती सूची से संबंद्ध विषयों पर संसद की तरह राज्य विधान मंडल भी विधि निर्माण कर सकता है, किन्तु यदि दोनों द्वारा निर्मित विधियों में परस्पर विरोध की सीमा तक संसदीय विधि वरणीय है। | |
2 | वित्तीय विषयों से संबंधित प्रक्रिया | (क) – राज्य विधान मंडल राज्य सरकार की वित्तीय अवस्था को पूर्णतया नियंत्रित करता है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में विधान मंडल के सम्मुख वार्षिक वित्तीय विवरण अथवा बजट प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें शासन की आय और व्यय का विवरण रहता हैं। बजट वित्त मंत्री द्वारा रखा जाता है। |
(ख) | जब विधान सभा किसी धन विधेयक को पारित कर देती है, तब वह विधान सभा परिषद् के पास भेज दिया जाता है। विधान परिषद् को 14 दिनों के भीतर विधान सभा को लौटाना पड़ता है। विधान परिषद् उस विधेयक के संबंध में संस्तुतियाँ तो दे सकती है, किन्तु वह न तो उसे अस्वीकार कर सकती और न उसमें संशोधन ही कर सकती है। | |
(ग) | विधान सभा द्वारा पारित किए जाने के 14 दिनों के बाद विधेयक को दोनों सदनों द्वारा पारित समझ लिया जाता है तथा राज्यपाल को उस पर अपनी सहमति देनी पड़ती है। | |
3 | कार्यपालिका पर नियंत्रण | मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से विधान सभा के प्रति उत्त्रदायी है। जब कभी मंत्रिपरिषद् के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो समूची मंत्रिपरिषद् केा त्यागपत्र देना पड़ता है। |
4 | संवैधानिक संशोधन | संघीय स्वरूप को प्रभावित करने वाला कोई संविधान संशोधन विधेयक यदि संसद के दोनों सदनों के द्वारा पारित हो जाता है, तो आधे से अधिक राज्यों के विधान मंडलों द्वारा उसकी पुष्टि आवश्यक है। |
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Vidhan Parishad
मुख्यमंत्री –
मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। जो विधान सभा में बहुमत दल का नेता होता है।
1. मुख्यमंत्री ही शासन का प्रमुख प्रवक्ता है और मत्रिपरिषदों की बैठकों की अध्यक्षता करता है।
2. मंत्रिपरिषद के निर्णयों को मुख्यमंत्री ही राज्यपाल तक पहुँचता है।
3. जब कभी राज्यपाल कोई बात मंत्रिपरिषद तक पहुँचना है, तो वह मुख्यमंत्री के द्वारा ही यह कार्य करता है।
4. राज्यपाल के सारे अधिकारों का प्रयोग मुख्यमंत्री ही करता है।
भारतीय राजव्यवस्था में वरीयता अनुक्रम:-
भारतीय राजव्यवस्था में विभिन्न् पदाधिकारियों का वरीयता अनुक्रम इस प्रकार है- | |
1 | राष्ट्रपति |
2 | उपराष्ट्रपति |
3 | प्रधानमंत्री |
4 | राज्यो के राज्यपाल, अपने राज्यों में |
5 | भूतपूर्व राष्ट्रपति |
6 | उप प्रधानमंत्री |
7 | केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री राज्य के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों में , योजना आयोग का उपाध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री तथा संसद के विपक्ष का नेता |
8 | भारत रत्न सम्मान के धारक |
9 | राजदूत |
10 | उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश |
11 | मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक |
12 | राज्य सभा का उपसभापति लोक सभा का उपाध्यक्ष, योजना आयोग के सदस्य तथा केन्द्र में राज्यमंत्री। |
भारत रत्न एकमात्र ऐसा पुरस्कार है जिसे वरीयता अनुक्रम में स्थान दिया गया है। |
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विधान परिषद
केन्द्र राज्य संबंध-
1 | भारत में केन्द्र राज्य संबंध संघवाद की ओर उन्मुख है और संघवाद की इस प्रणाली को कनाडा के संविधान से लिया गया है। |
2 | भारतीय संविधान में केन्द्र तथा राज्य के मध्य विधायी, प्रशासनिक तथा वित्तीय शक्तियों का विभाजन किया गया है, लेकिन न्यायपालिका को विभाजन की परिधि से बाहर रखा गया है। |
3 | भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में केन्द्र एवं राज्य की शक्तियों के बँटवारे से संबंधित तीन सूची दी गई है- (क) संघ सूची (ख) राज्य सूची (ग) समवर्ती सूची। |
4 | संघ सूची- संघ सूची में उन विषयों को शामिल किया गया है, जो राष्ट्रीय महत्व के हैं तथा जिन पर कानून बनाने का एकमात्र अधिकार केन्द्रीय विधायिका अर्थात् संसद को है। इस सूची में कुल 98 विषयों को शामिल किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं- रक्षा, विदेशी मामले, युद्ध, अन्तराष्ट्रीय संधि, अणु शक्ति, सीमा शुल्क, रेल तथा वायु एवं जल परिवहन आदि। |
5 | राज्य सूची- इनमें उन विषयों को शामिल किया गया है, जो स्थानीय महत्व के हैं तथा जिन पर कानून बनाने का एकमात्र अधिकार राज्य विधान मंडल को है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में संसद भी कानून बना सकती है। इस सूची में शामिल विषयों की संख्या 62 है, जिनमें प्रमुख है लोक सेवा, कृषि, वन, कारागार, भू-राजस्व, लोक व्यवस्था आदि। |
6 | समवर्ती सूची- इसमें शामिल विषयों पर संसद तथा राज्य विधान मंडल दोनों द्वारा कानून बनाया जाता है और यदि दोनों कानूनों में विरोध है, तो संसद द्वारा निर्मित कानून लागू होगा। इसमें 52 विषयों को शामिल किया गया है। उनमें प्रमुख है- राष्ट्रीय जलमार्ग, परिवा नियोजन, जनसंख्या नियंत्रण, समाचार पत्र, शिक्षा, आर्थिक तथा सामाजिक योजना। |
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7 | अवशिष्ट विधायी शक्ति- जिन विषयों को संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में नहीं शामिल किया गया है, उन पर कानून बनाने का अधिकार संसद को प्रदान किया गया है। |
8 | राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की संसद की शक्ति – संविधान के अनुच्छेद 249 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि सभा अपने उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से यह पारित कर दे कि राष्ट्रीय हित केा ध्यान में रखकर संसद राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाए, तो संसद को राज्य सूची में वर्णित विषयों पर कानून बनाने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। संसद द्वारा इस प्रकार बनाया गया कानून एक वर्ष के लिए प्रवर्तनीय होता है। |
9 | राज्यों की सहमति से भी संसद राज्य सूची पर कानून बना सकती है। |
10 | राष्ट्रीय आपात एवं राष्ट्रपति शासन के समय भी संसद को राज्य सूची पर कानून बनाने का अधिकार होता है। |
11 | संघ के प्रमुख राज्स्व स्त्रोत है- निगम कर, सीमा शुल्क, निर्यात शुल्क , कृषि भूमि को छोड़कर अन्य सम्पत्ति पर सम्पदा शुल्क, पशुओं तथा नौकायान पर कर, विक्रय कर, वाहनों पर चुंगी। |
12 | केन्द्र एवं राज्यों के मध्य विवाद को सुलझाने के लिए मुख्यतः चार आयोग गठित किए गए, जो इस प्रकार है- प्रशासनिक सुधार आयोग, राजमन्नर आयोग, भगवान सहाय समिति एवं सरकारिया आयोग। |
13 | सरकारिया आयोग का गठन 1983 में किया गया था, जिसने अपनी 1600 पृष्ठ वाली रिपोर्ट 1987 ई0 में केन्द्र सरकार को सौंप दी। |
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भारतीय संविधान के अंतर्गत विधान-परिषद् का गठन
अन्तर्राजय परिषद्
1 | संविधान के अनुच्छेद 263 के अन्तर्गत केन्द्र एवं राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए राष्ट्रपति एक अन्तर्राज्य परिषद् की स्थापना कर सकता है। |
2 | पहली बार जून, 1990 ई0 में अन्तर्राज्य परिषद् की स्थापना की गई, जिसकी पहली बैठक् 10 अक्टूबर 1990 ई0 को हुई थी। |
3 | इसमें निम्न सदस्य होते है- प्रधानमंत्री तथा उनके मनोनीत छह कैबिनेट स्तर के मंत्री, सभी राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्यमंत्री एवं संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासक। |
4 | अन्तर्राज्य परिषद की बैठक वर्ष में तीन बार की जाएगी जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री या उनकी अनुपस्थिति में प्रधानमंत्री द्वाा नियुक्त कैबिनेट स्तर का मंत्री करता है। परिषद् की बैठक के लिए आवश्यक है कि कम-से -कम दस सदस्य अवश्य उपस्थिति हों। |
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योजना आयोग
1 | भारत में योजना आयोग के संबंध में कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। |
2 | 15 मार्च, 1950 ई0 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित प्रस्ताव के द्वारा योजना आयोग की स्थापना की गयी थी। योजना आयोग का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। |
राष्ट्रीय विकास परिषद्
1 | योजना के निर्माण में राज्यों की भागीदारी होनी चाहिए, इस विचार को स्वीकार करते हुए सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा 6 अगस्त, 1952 ई0 को राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन हुआ। |
2 | प्रधानमंत्री परिषद् का अध्यक्ष होता है। योजना आयोग का सचिव ही इसका सचिव होता है। |
3 | भारतीय संघ के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री एवं योजना आयोग के सभी सदस्य इसके पदेन सदस्य होता है। |
Important Articles of the Indian Constitution Amendments of Indian Constitution list State Executive Governor
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