राज्य की कार्यपालिका
राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय दोनों ही स्तरों पर संसदीय कार्यपालिका को स्वीकार किया गया है। इस व्यवस्था राज्यपाल, राज्य की कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान होता है तथा मुख्यमंत्री और उसकी मंत्रिपरिषद राज्य स्तर पर सरकार चलाते है। राज्य के स्तर पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद मिलकर कार्यपालिका का निर्माण करते हैं। राज्यपाल की राज्य में दोहरी भूमिका होती है अर्थात् वह संघ सरकार का राज्य में प्रतिनिधि एवं राज्य का प्रथम नागरिक भी होता है। राज्यपाल की भूमिका राष्ट्रपति के शासन (अनुच्छेद-356) के संदर्भ में सर्वाधिक विवादास्पद देखी जाती है। राज्यपाल द्वारा राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है।
राज्यपाल
- संविधान के भाग -6 में राज्य शासन के लिए प्रावधान किया गया है और यह प्रावधान जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों के लिए लागू होता है।
- राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल होता है, वह प्रत्यक्ष रूप से अथवा अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इसका उपयोग करता है।
- प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल होता है लेकिन एक ही राज्यपाल को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।
- राज्यपाल की योग्यता- राज्यपाल पद पर नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति में निम्न योग्यताएँ होना अनिवार्य है-
1. वह भारत की नागरिक हो।
2. वह 35 वर्ष की उम्र पूरा कर चुका हो।
3. किसी प्रकार के लाभ के पद पर नहीं हो।
4. वह राज्य विधान सभा का सदस्य चुने जाने योग्य हो। - राज्यपाल की नियुक्ति पाँच वर्षों की अवधि के लिए की जाती है, परन्तु यह राष्ट्रपति के प्रसाद-पर्यन्त पद धारण करता है।
- वेतन एक लाख दस हजार रूपये मासिक है। यदि दो या दो से अधिक राज्यों का एक ही राज्यपाल हो, तब उसे दोनों राज्यपालों का वेतन उस अनुपात में दिया जाएगा, जैसाकि राष्ट्रपति निर्धारित करे।
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उन्मुक्तियाँ तथा विशेषाधिकार-
* -वह अपने पद की शक्तियों के प्रयोग तथा कर्तव्यों के पालन के लिए किसी न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं है।
*-पदावधि के दौरान उसके विरूद्ध किसी भी न्यायालय में किसी प्रकार की आपराधिक कार्रवाई नहीं प्रारंभ की जा सकती है।
*-जब वह पद पर हो तब उसकी गिरफ्तारी का आदेश किसी न्यायालय द्वारा जारी नहीं किया जा सकता ।
*- उसके द्वारा किए गए कार्य के संबंध में कोई सिविल कार्रवाई करने से पहले उसे दो मास पूर्व सूचना देनी पड़ती है।
राज्यपाल की शक्तियाँ तथा कार्य
1. कार्यपालिका संबंधी कार्य-
1 | राज्य के समस्त कार्यपालिका कार्य राज्यपाल के नाम से किए जाते है। |
2 | राज्यपाल मुख्यमंत्री को तथा मुख्यमंत्री की सलाह से उसकी मंत्रिपरिषद् के सदस्यों को नियुक्त करता है तथा उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है। |
3 | राज्यपाल राज्य के उच्च अधिकारियों , जैसे महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति करता है तथा राज्य के उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देता है। |
4 | राज्यपाल का अधिकार है कि वह राज्य के प्रशासन के संबंध में मुख्यमंत्री से सूचना प्राप्त करे। |
5 | जब राज्य का प्रशासन संवैधानिक तंत्र के अनुसार न चलाया जा रहा हो तो राज्यपाल राष्ट्रपति से राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करता है। |
6 | राष्ट्रपति शासन के समय राज्यपाल केन्द्र सरकार के अभिकर्ता के रूप में राज्य का प्रशासन चलाता है। |
7 | राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है तथा उपकुलपतियों को भी नियुक्त करता है। |
State Executive – Governor, Chief Minister and Council of Ministers
2. विधायी अधिकार – State Executive Governor
1 | राज्यपाल विधान मंडल का अभिन्न अंग है। |
2 | राज्यपाल विधान मंडल का सत्राहान करता है, उसका सत्रावसान करता है, तथा उसका विघटन करता है, राज्यपाल विधान सभा के अधिवेशन अथवा दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करता है। |
3 | वह राज्य विधान परिषद् की कुल सदस्य संख्या का 1/6 भाग सदस्यों को नियुक्त करता है, जिनका संबंध विज्ञान, साहित्य, कला, समाज-सेवा, सहकारी आन्दोलन आदि से रहता है। |
4 | राज्य विधान सभा के किसी सदस्य पर अयोग्यता का प्रश्न उत्पन्न होता है, तो अयोग्यता संबंधी विवाद का निर्धारण राज्यपाल चुनाव आयोग से परामर्श करके करता है। |
5 | राज्य विधान मंडल द्वारा पारित विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अधिनियम बन पाता है। |
6 | यदि विधान सभा में आँग्ल भारतीय समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं प्राप्त है, तो राज्यपाल उस समुदाय के एक व्यक्ति को विधान सभा का सदस्य मनोनीत कर सकता है। |
7 | जब विधान मंडल का सत्र नहीं चल रहा हो और राज्यपाल को ऐसा लगे कि तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है, तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है, जिसे वही स्थान प्राप्त हो, जो विधान मंडल द्वारा पारित किसी अधिनियम है। ऐसे अध्यादेश 6 सप्ताह के भीतर विधान मंडल द्वारा स्वीकृत होना आवश्यक है। |
8 | कुछ विशिष्ट प्रकार के विधेयकों को राज्यपाल राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजता है। |
Powers and Functions of Governor
3. State Executive Governor वित्तीय अधिकार-
1 | राज्यपाल प्रत्येक वित्तीय वर्ष में वित्तमंत्री को विधान मंडल के सम्मुख वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहता है। |
2 | विधान सभा में धन विधेयक राज्यपाल की पूर्व अनुमति से ही पेश किया जाता है। |
3 | ऐसा कोई विधेयक जो राज्य की संचित निधि से खर्च निकालने की व्यवस्था करता हो, उस समय तक विधान मंडल द्वारा पारित नहीं किया जा सकता जब तक राज्यपाल इसकी संस्तुति न कर दे। |
4 | राज्यपाल की संस्तुति के बिना अनुदान की किसी माँग को विधान मंडल के सम्मुख नहीं रखा जा सकता है। |
5 | राज्यपाल धन विधेयक के अतिरिक्त किसी विधेयक को पुनः विचार के लिए राज्य विधान मंडल के पास भेजा सकता है, परनतु राज्य विधान मंडल द्वारा इसे दुबारा पारित किए जाने पर वह उस पर अपनी सहमति देने के लिए बाध्य होता है। |
Governor and State Legislature
उपराज्यपाल- दिल्ली, पुदुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह।
प्रशासक- दादर एवं नागर हवेली, लक्षद्वीप, दमण तथा दीव।
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